विश्व के सर्वाधिक ग्लैमरस पेशों में से एक है शो बिज़ यानि फिल्म जगत,इज्ज़त शोहरत पैसा और नाम सिने दुनिया के कण कण में व्याप्त है, समय समय पर अभिनेताओं एवं अभिनेत्रियों ने राजनीती की दुनिया में भी अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई है,यदि इतिहास के पन्नो में झांक कर देखा जाए तो फिल्म जगत से राजनीती की दुनिया में सफल पदार्पण करने वाले पहले अभिनेता अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन थे,एक रेडियो एंकर के रूप में अपना करीयर शुरू करने वाले रीगन जल्द ही अपने संघर्ष के बूते हॉलीवुड का एक चर्चित नाम बन गये, वर्ष 1945 में रोनाल्ड रीगन नें डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य के रूप में अपना राजनैतिक करीयर शुरू किया लकिन बाद में उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी ज्वाइन कर ली,एक समय ऐसा भी आया जब अमरीकी जनता ने अपने इस चहेते सितारे को देश के शीर्ष पद पर आसीन करवाया और रीगन ने अमरीका के चालीसवें राष्ट्रपति के रूप में 20 जनवरी 1981 से 20 जनवरी 1986 तक अमेरिका के राष्ट्र प्रमुख के रूप में देश की सेवा की, अब तक रीगन द्वारा फ़िल्मी जगत से राजनीती में आने और इस दुनिया के शीर्ष तक पहुचने का सफल उदाहरण प्रस्तुत किया जा चूका था,जिसे बाद में कई अन्य सितारों ने दोहराया भी.
बात यदि भारतीय परिवेश की करें तो अपने यहाँ इस सिलसिले में पहला नाम आता है मरुधर गोपाल रामचंद्रन का, MGR टाइटल से मशहूर रामचंद्रन एक दक्षिण भारतीय सुपरस्टार थे जिन्होंने 1936 से अपने फ़िल्मी करीयर की शुरुआत की और कई सफल फिल्मे करने वाले रामचंद्रन नें कांग्रेस पार्टी का दामन थाम कर राजनीती की राह पकड़ ली, 1972 में उन्होंने अपनी खुद की पार्टी अन्ना डीएमके बना डाली तथा चुनावों में शानदार प्रदर्शन करते हुए उनकी पार्टी ने बहुमत हासिल किया और MGR तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने तथा अपने जीवन के अंत तक (1987) इस पद पर बने रहे. इसके बाद का इतिहास बहुत ज्यादा पुराना नहीं है, भारतीय फिल्म इंडस्ट्री यानी बॉलीवुड से एक के बाद एक अनेकों सिने स्टार राजनीती की दुनिया में दस्तक देते रहे और किसी भी अन्य क्षेत्र की तरह महिलाएं भी पुरुषों से पीछे नहीं रही बल्कि दो हाथ आगे निकलते हुए इन सिने तारिकाओं ने भी रील लाइफ शो बिज से निकल कर रियल लाइफ शो बिज़ यानि राजनीती में अपना भाग्य आजमाया और कई दिग्गजों को पछाड़ते हुए सफलता के शिखर तक पहुँचीं.
इस सूची में जयललिता जयराम (मुख्यमंत्री तमिलनाडु) ,शबाना आज़मी, जया बच्चन, जयाप्रदा, भोजपुरी अभिनेत्री नगमा, हेमामालिनी , अमेठी से राहुल गाँधी को टक्कर दे रहीं स्मृति ईरानी और हालिया न्यू एंट्री गुल पनाग शामिल हैं. वहीँ अभिनेताओं में MGR, टी एन रमा राव,जैसे कद्दावर नामो के अलावा एक ही पारी खेलने के बाद राजनीती की दुनिया से क़दम वापस खीच पुनः फ़िल्मी व्यवसाय में लौट जाने वाले अमिताभ बच्चन जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं, वहीँ वर्तमान समय में गोविन्दा, शत्रुघ्न सिंहा, राज बबर, चिरंजीवी, नेपोलियन (डीएमके) तथा हालिया उपस्थिति दर्ज कराने वाले रवि किशन, परेश रावल, जावेद जाफरी तथा गुल पनाग जैसे कलाकार भी चुनावी मैदान में भाग्य आजमा रहे हैं, भोजपुरी जगत के अमिताभ कहे जाने वाले रवि किशन अपने गृह जनपद जौनपुर से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में लोकसभा पहुँचने के लिए जी जान लगा रहे हैं.
वर्षों से कांग्रेस पार्टी के लिए निस्वार्थ भाव से प्रचा प्रसार कर रहे रवि को पार्टी ने इस बार मोदी लहर के बीच बनारस से सटे हुए जनपद जौनपुर से मैदान में उतारा है. रवि भी पूरे दमखम से चुनाव लड़ रहे हैं और मज़बूत उपस्थिति दर्ज कराने के लिए राजनीती के सभी पैंतरे अपना रहे हैं, इन समस्त स्थितियों को देखते हुए मन में यह स्वाभाविक प्रश्न उठता है फिल्म जगत में अपार पैसा राजनीती से कहीं ज्यादा शोहरत तथा पहचान होने के बावजूद भी इन अभिनेताओं तथा अभिनेत्रियों को राजनीती में ऐसा क्या दीखता है जो उन्हें अपने बड़े बड़े बंगलों शानदार लेविश लाइफ स्टाइल छोड़ कर गाँवों देहातों और सड़कों पर धुल फांकने और हाथ जोड़ कर लोगों से वोट के लिए विनती करने पर मजबूर कर देता है. क्या राजनीती के माध्यम सेयह सिने स्टार अपने मद्धम पड़ रहे फ़िल्मी करीयर को देखते हुए भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित करे जाने के कारण ऐसा करते हैं? अपनी लोकप्रियता के बहाने कम समय में अधिक मुनाफा देने वाले उन्हें राजनीती एक बेहतर रास्ता नज़र आता है? या इसका कोई और कारण है,राजनीति में उतरे अधिकतर फ़िल्मी सितारे इस सवाल (राजनीति में आने के लिए उन्हें किस बात नें प्रेरित किया) का अक्सरएक ही जवाब देते हैं, “माटी का क़र्ज़ चुकाने आये हैं,लोगों ने जो प्रेम सम्मान उन्हें दिया है वो लौताने आए हैं, जनता की सेवा करना चाहते हैं आदि आदि,……
सवाल यह नहीं है की इन फ़िल्मी सितारों को इनके गृह जनपदों ने क्या और कितना दिया और बदले में इन सितारों ने अब तक के उदाहरणों में अपने अपने इलाकों का कितना विकास करवाया, (इस सवाल में जायेंगे तो भी निराशा ही हाथ लगेगी क्यूंकि अकसर ऐसे नेताओं से जनता को अनुपलब्धता की शिकायत आम बात है), यहाँ सवाल इस बात का है की क्या हमारे समाज में राजनीती में आने और सफलता प्राप्त करने के लिए सिने स्टारों जैसी लोकप्रियता का होना ही काफी होता जा रहा है या जनता को अपने प्रत्याशियों में जनप्रतिनिधित्व के लिए अन्य आवश्यक योग्यताएं भी खोजनी चाहिए? इस प्रश्न का उत्तर हम जितनी जल्द खोज लें उतना ही हमारे लोकतंत्र के लिए यह बेहतर होगा…
- इमरान


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May 3, 2014 at 4:44 pm
अच्छा लिखा भाई,अफ़सोस की लोकतंत्र में चकाचौंध हावी हो रही है